गली की गन्दी कीचड़
में उगता हुआ
वो नन्हा सा पौधा
लोगों की नज़रों से
बचता बचाता अब
बड़ा हो रहा था
नहीं ऐसा नहीं
की किसी ने उसे
कभी कुचला न हो
या शरारती बच्चों
ने कभी छेडा न हो
इनकी तो आदत
हो गयी थी उसे
झुग्गियों में जहां
पैर रखने की जगह नहीं
उसे अपनी अलग ज़मी
कोई कहाँ से दे
आज शाम भी
किसी ढोर से
बाल बाल बचा
इन्तेज़ार है रात होने का
जब नाले की बदबू में
ज़रा खुलके सांस लेगा
और सोये हुए मोहल्ले में
ज़रा चैन से अंगड़ाई लेगा
उन झुग्गियों में
इश्क की कहानी भी
कुछ वैसी ही है
Watched Slumdog Millionire a few days back. Among other things I was tempted to think how love survives in slums.
नहीं ऐसा नहीं
की किसी ने उसे
कभी कुचला न हो
या शरारती बच्चों
ने कभी छेडा न हो
इनकी तो आदत
हो गयी थी उसे
झुग्गियों में जहां
पैर रखने की जगह नहीं
उसे अपनी अलग ज़मी
कोई कहाँ से दे
आज शाम भी
किसी ढोर से
बाल बाल बचा
इन्तेज़ार है रात होने का
जब नाले की बदबू में
ज़रा खुलके सांस लेगा
और सोये हुए मोहल्ले में
ज़रा चैन से अंगड़ाई लेगा
उन झुग्गियों में
इश्क की कहानी भी
कुछ वैसी ही है
Watched Slumdog Millionire a few days back. Among other things I was tempted to think how love survives in slums.
1 comment:
How thoughtful !
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