फिर किसी बात पर चाँद बिगड़ गया
आज रात फिर अमावस होगी
फिर अंधियारा पसरेगा
तुमसे कहा था ना
चाँद से यूं उलझा न करो
बिन कोरी चांदनी अब
कैसे मैं पड़ोस घर
आलन लेने जाऊंगी
कैसे बर्तन भांडे होंगे
ढ़ोरों को चारा होगा
कैसे मुन्ना सोवेगा
तुम कैसे खेतों को बाचोगे
अब तो ये मुई गाय भैंसे भी
रोशनी बिन पूरी रात
घुड़मुड घुड़मुड करने लगी हैं
फिर किसी बात पर चाँद बिगड़ गया
तुमसे कहा था ना
चाँद से यूं उलझा न करो
उफ़. पूरा महीना निकल जायेगा
अब उसे मनाते मनाते