Hindi Poetry | Travelogues
Friday, June 17, 2011
चोर सिपाही
फलक से कुछ ऊपर
एक नादान सा तारा
पूरी रात मेरी खिड़की पर
टंगा खेलता रहा
मैं टकटकी लगाए
उसका ध्यान रखता रहा
सिर्फ इक पल को मेरी आँखें
झपकी में बंद हुईं
बस तभी वो चालाक चोर
भरी रात में उसे तोड़ ले गया
1 comment:
m s rathi
said...
wow!!!
July 15, 2011 at 10:46 AM
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1 comment:
wow!!!
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