Friday, August 12, 2011

बेचैनी

रात भर घुलता रहा चाँद फ़लक पर
रात भर रोती रही हवा सिसक कर
रात भर तेरी यादों की चादर ओढ़े
बेचैन से बस, करवट बदलते रहे हम

शब्दार्थ :- फ़लक = sky

2 comments:

Priyanka Vaishnav said...

अश्कों की बारिश में कुछ पल भीग कर
अधमरी सी ख्वाहिश को फिर जिंदा कर
खवाबों में तेरे कुछ यूँ खोये हम
कि बैचेन से बस करवटें बदलते रहे हम

- Priyanka

aman said...

nice ! :)