So long, Mussoorie & Landour..
इन बूढ़े पहाड़ों पर
क्या क्या बदल गया है
नए लोग निकल आये हैं
नए घर उग आये हैं
पर शाम अब भी...
वही सुर्ख नारंगी आती है
जैसे उम्र का पहिया
उस पर कभी चला ही नहीं
लंढौर की तंग गलियों से
ज़रा ऊपर निकलो
तो कुछ चीज़ों के
मानी ही बदल गए हैं
'क्लॉक टॉवर' रोड पर
'क्लॉक टॉवर' नहीं रहा
उसे तोड़ कर
कैफे बना दिया गया है
पर वहाँ सागवाँ के पत्ते
अब भी...
वैसे ही चुपचाप गिरते हैं,
चर्च के रस्ते पर
चढ़ते उतरते..
वैसे ही चुपचाप
कुछ पुराने यार मिलते हैं
इन बूढ़े पहाड़ों पर...
--Mussoorie, March 31, 2012
इन बूढ़े पहाड़ों पर
क्या क्या बदल गया है
नए लोग निकल आये हैं
नए घर उग आये हैं
पर शाम अब भी...
वही सुर्ख नारंगी आती है
जैसे उम्र का पहिया
उस पर कभी चला ही नहीं
लंढौर की तंग गलियों से
ज़रा ऊपर निकलो
तो कुछ चीज़ों के
मानी ही बदल गए हैं
'क्लॉक टॉवर' रोड पर
'क्लॉक टॉवर' नहीं रहा
उसे तोड़ कर
कैफे बना दिया गया है
पर वहाँ सागवाँ के पत्ते
अब भी...
वैसे ही चुपचाप गिरते हैं,
चर्च के रस्ते पर
चढ़ते उतरते..
वैसे ही चुपचाप
कुछ पुराने यार मिलते हैं
इन बूढ़े पहाड़ों पर...
--Mussoorie, March 31, 2012
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