perks of staying back. windy atrium, not with assignments, but poetry!
कल की बारिश
आग सा
बरसा है पानी आज,
बूंदों में कोई
अफरा तफरी सी है,
दबी हुई आग से
शोले भड़भड़ा
रहे हों जैसे
आज फिर
कोई क़त्ल करके
आई है ये बारिश,
कतरा कतरा खून
रिस रहा है कहीं,
वो पानी चल रहा है
या आंसूं बह रहा है कोई,
छटपटा रहा है कोई
पर हलचल नहीं होती,
चींख रहा है कोई
पर आवाज़ नहीं होती,
गरजते हुए कोहराम में
ज़ख्म पे पड़ते हैं
ये छीटें,
तो धार की तरह
काट देते हैं उन्हें,
छिल जाता है बदन
और गल सी जाती है रूह,
मिट जाते हैं सारे निशाँ
धुल जाते हैं सारे बिनाह
और सील जाते हैं सारे सुराह
में जानता हूँ इसे,
ये बारिश,
कातिलाना है
आज फिर किसी
दिल का खूँ हुआ है
आज फिर
कोई दिल कुर्बां हुआ है
ये बारिश..
कातिलाना है
--ISB Hyderabad, October 3, 2012
कल की बारिश
आग सा
बरसा है पानी आज,
बूंदों में कोई
अफरा तफरी सी है,
दबी हुई आग से
शोले भड़भड़ा
रहे हों जैसे
आज फिर
कोई क़त्ल करके
आई है ये बारिश,
कतरा कतरा खून
रिस रहा है कहीं,
वो पानी चल रहा है
या आंसूं बह रहा है कोई,
छटपटा रहा है कोई
पर हलचल नहीं होती,
चींख रहा है कोई
पर आवाज़ नहीं होती,
गरजते हुए कोहराम में
ज़ख्म पे पड़ते हैं
ये छीटें,
तो धार की तरह
काट देते हैं उन्हें,
छिल जाता है बदन
और गल सी जाती है रूह,
मिट जाते हैं सारे निशाँ
धुल जाते हैं सारे बिनाह
और सील जाते हैं सारे सुराह
में जानता हूँ इसे,
ये बारिश,
कातिलाना है
आज फिर किसी
दिल का खूँ हुआ है
आज फिर
कोई दिल कुर्बां हुआ है
ये बारिश..
कातिलाना है
--ISB Hyderabad, October 3, 2012
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