To the years gone by, and the one in the coming.. In the end, they all reduce to a tiny smile at your own self.
गुज़रे हुए वक़्त को समेटकर
पोटली में रखते रहे हम
आज उसे खोला भी तो क्या
एक ज़रा सी हँसी निकली
--Hyderabad, January 1, 2013
गुज़रे हुए वक़्त को समेटकर
पोटली में रखते रहे हम
आज उसे खोला भी तो क्या
एक ज़रा सी हँसी निकली
--Hyderabad, January 1, 2013
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