Wednesday, February 20, 2013

ज़ाया कलाम (unwritten poetry)

ज़ाया कलाम (unwritten poetry)

कुछ नज्में लिखी नहीं जाती
वो हवाओं में पैदा होती हैं
और हवाओं में ही 
गुम हो जाती हैं,
सफ़ेद कागज़ के पुश्तैनी घर
उन्हें कैद नहीं कर पाते,
वे अल्हड़ होती हैं,
बाग़ी होती हैं, 
उस खूबसूरत
तितली की तरह
जो सिर्फ
एक दिन जीती है लेकिन
अपनी तर्ज़ पर

कुछ नज्में..
लिखी नहीं जाती

*बाग़ी = rebellious
*पुश्तैनी = ancestral


--Delhi, April 3, 2012

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