Wednesday, February 20, 2013

HAUZ KHAS VILLAGE

Visited the tiny village of hauz khas in south delhi. Remember the time when it was being stripped off its sanity in the increasing madness of capitalization of delhi, when tall unsafe buildings were being built flouting all building codes just to add more rooms to put on rent for easy money. Today, though those structures are still there, the village has been granted some quietude in its new avatar of an artisan village. Well whats gone is gone.., but I am happy for it.


HAUZ KHAS VILLAGE


तुम परेशान न होना..

मुझे याद है
बरसों पहले
जिस बेदर्दी के साथ
तुम्हें इस शहर से
बे दख्ल कर दिया गया था

तुम मूंह पर
सूखे हुए आसूं लिए 
चुपचाप चलीं गयी,
तुमने उफ्फ़ तक नहीं की,
तुम्हारे दिल से जो सवाल
चींख रहे थे 
उन्हें किसी नहीं सुना 
हुह ! 'डेवलेपमेंट'के नशे में धुत जो थे

पर तुम्हारी बेटी
जिसे तुम पीछे छोड़ गयीं 
वो अब..सयानी हो गयी है
कई सालों बाद
आज उसको देखा,
वो तुम्हारी तरह
सलवार कमीज़ तो नहीं पहनती
पर चस्प जयपुरी ब्लाक प्रिंट की
खूबसूरत साड़ी पहनती है,
बड़ी समझदार हो गयी है,
अंग्रेजी भी बोलती है,
हिम्मत तो शायद
तुमसे ही ली है,
आवाज़ भी
तुम पर ही गयी है

और सुनो..
उस भागती दौड़ती
झुंझलाती दिल्ली में
जिस गाँव में तुम
उसे छोड़ गयी थीं
उसने वहीँ..
एक छोटा सा सुन्दर कोना
अपने लिए ढून्ढ लिया है

तुम...
परेशान न होना


--Delhi, April 1, 2012

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